हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार , आयतुल्लाह कश्मीरी के शिक्षक, उस्ताद अली अकबर सदाकत ने अपने शिक्षक की सबसे प्रमुख विशेषता बताते हुए कहा कि उनकी सबसे बड़ी विशेषता यह थी कि वे कभी किसी के बारे में बुरी बात ज़बान पर नहीं लाते थे।
ग़ीबत,चुगली से सख्त परहेज़ और ज़बान की असाधारण सुरक्षा ने उन्हें वास्तविक अर्थों में एक विशिष्ट नैतिकता का शिक्षक बना दिया था।
कई बार इंसान की असली विशेषता किसी असाधारण घटना में नहीं, बल्कि उसके अख़लाक पवित्र दिल और साफ़ ज़बान में प्रकट होती है।
उस्ताद अली अकबर सदाकत ने बताया, जितना समय मैंने आयतुल्लाह कश्मीरी के साथ बिताया, कभी उनकी तरफ से कोई शरियई के विरुद्ध बात नहीं देखी। अगर मजलिस में ज़रा सा अंदाज़ा हो जाता कि ग़ीबत होने वाली है, तो वे तुरंत सतर्क हो जाते, पूरा ध्यान रखते कि कोई भी व्यर्थ या अश्लील बात न निकले।
मेरे नज़दीक उनकी सबसे बड़ी करामत यही थी कि वे किसी को बुरा नहीं कहते थे उनके नज़दीक असली अहमियत तकवा और बंदगी-ए-खुदा की थी।
सन्दर्भ: किताब: मीनार-ए-दिल, पृ.70
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